आठवें वेतन आयोग में कितना बढ़ सकता है वेतन- पैसा वसूल

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क्या आपको मालूम है कि जिस वक़्त भारत आज़ाद हुआ, सरकारी कर्मचारियों की मिनिमम मंथली सैलरी 55 रुपए थी?
फिर समय-समय पर पे कमीशन बने और सैलरी स्ट्रक्चर में बदलाव हुआ, साल 2016 में लागू सातवें वेतन आयोग ने मिनिमम सैलरी 18 हज़ार रुपए कर दी.
अब केंद्र सरकार ने आठवें वेतन आयोग की घोषणा की है, तो कितनी बढ़ सकती है सैलरी और किन पैरामीटर से ये तय होता है.
जब से केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इसकी घोषणा की है तब से ही सरकारी दफ्तरों के अंदर-बाहर और सोशल मीडिया पर इसकी ही चर्चा है...हर कोई जानना चाहता है कि कर्मचारियों की सैलरी में कितना इज़ाफा होगा और रिटायर्ड कर्मचारियों को कितनी पेंशन मिलेगी.
ख़ैर...ये तीन सदस्यीय आयोग सैलरी में कितनी बढ़ोतरी की सिफ़ारिश करता है, ये तो वक्त ही बताएगा, लेकिन हम यहां आपको बताने की कोशिश करेंगे कि वेतन आयोग सैलरी स्ट्रक्चर तय करते वक्त किन बातों का ध्यान रखता है और एक्सपर्ट सैलरी में कितने इजाफे की उम्मीद कर रहे हैं.
इन सबसे पहले, अब तक के सात वेतन आयोगों की जर्नी जल्दी से समझ लेते हैं.
देश में पहला वेतन आयोग मई 1946 में गठित हुआ था और इसकी सिफारिशों पर मिनिमम बेसिक सैलरी 55 रुपए और अधिकतम बेसिक सैलरी 2000 रुपए की गई थी... इसका मुख्य उद्देश्य कर्मचारियों के जीवन स्तर को सुधारना था.
दूसरा वेतन आयोग 1957 में गठित हुआ और मिनिमम बेसिक सैलरी हुई 80 रुपए महीना हुई... इसमें पारिवारिक भत्तों और रिटायरमेंट प्रॉफिट पर ज़ोर दिया गया.
तीसरे पे कमीशन से मिनिमम बेसिक सैलरी बढ़कर 185 रुपए हुई, जबकि 1986 में लागू चौथे वेतन आयोग से कर्मचारियों की मिनिमम सैलरी 750 रुपए मंथली हुई.
उदारीकरण के बाद 1997 में पांचवें वेतन आयोग से मिनिमम बेसिक सैलरी 2,550 रुपए तय हुई और अधिकतम सैलरी पहली बार पांच अंकों को पार कर 26 हज़ार रुपए हो गई.
छठा वेतन आयोग 2008 में लागू हुआ और इसके बाद मिनिमम सैलरी हो गई 7,000 रुपए. इस समय ही पे बैंड और ग्रेड पे प्रणाली शुरू हुई.
सातवें वेतन आयोग ने मिनिमम बेसिक सैलरी को 18 हज़ार पर पहुंचा दिया, जबकि अधिकतम सैलरी हो गई सवा दो लाख रुपए.
सरकार के सबसे बड़े अफ़सर माने जाने वाले कैबिनेट सेक्रेट्री और उनके समकक्षों की बेसिक सैलरी ढाई लाख रुपए तय की गई.
अगर पेंशनर्स की बात करें तो छठे वेतन आयोग के बाद जहां मिनिमन पेंशन 1,275 रुपए से बढ़कर 3,500 रुपए हो गई थी, वहीं सातवें वेतन आयोग के बाद मिनिमन पेंशन को बढ़ाकर 9,000 रुपए कर दिया गया था.
छठे और सातवें वेतन आयोग में सैलरी में बढ़ोतरी के दौरान जिस टर्म की सबसे ज़्यादा बात हुई वो था फिटमेंट फैक्टर.
इस फिटमेंट फैक्टर से ही तय हुआ कि कर्मचारियों की सैलरी कितनी बढ़ेगी या पेंशनर्स को कितनी बढ़ी हुई पेंशन मिलेगी.
छठे वेतन आयोग में ये फिटमेंट फैक्टर था 1.86 और सातवें वेतन आयोग में ये रहा 2.57
यानी फिटमेंट फैक्टर जितना ज़्यादा होगा, कर्मचारियों की सैलरी भी उतनी ही ज़्यादा बढ़ेगी.
तो कर्मचारियों की सैलरी तय करने का ये फॉर्मूला यानी फिटमेंट फैक्टर क्या होता है और कैसे काम करता है?
फिटमेंट फैक्टर सरकारी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के वेतन और पेंशन में सुधार करने के लिए उपयोग किया जाने वाला एक फॉर्मूला है.
यह कर्मचारी की बेसिक सैलरी को एक Multiplier से बढ़ाकर नए वेतनमान में ले जाता है.इसमें ध्यान रखा जाता है कि कर्मचारियों की पर्चेजिंग पावर को बनाए रखा जाए और साथ ही उनकी आर्थिक स्थिति में भी सुधार सुनिश्चित हो.
उदाहरण के लिए, 7वें वेतन आयोग ने फिटमेंट फैक्टर को 2.57 तय किया था. इसका मतलब है कि कर्मचारी का नया वेतन उसकी मूल सैलरी को 2.57 से गुणा यानी मल्टीप्लाई करके तय किया गया. यदि किसी कर्मचारी की मूल सैलरी 15,000 रुपए है, तो 2.57 के फिटमेंट फैक्टर से उसे नया वेतन 38,550 रुपए मिलेगा. ध्यान रहे यह वेतन का बेसिक है. यह नया वेतन महंगाई भत्ते यानी DA और अन्य भत्तों को भी ध्यान में रखकर तैयार किया जाता है.
सवाल है कि क्या छठे और सातवें वेतन आयोग की तरह आठवें आयोग में भी फिटमेंट फैक्टर ही सारा खेल तय करेगा.
इकोनॉमिक टाइम्स ने जॉब पोर्टल टीम लीज के वाइस प्रेसिडेंट कृष्णेंदु चटर्जी के हवाले से कहा है...महंगाई के फैक्टर को ध्यान में रखते हुए ऐसे संकेत हैं कि फिटमेंट फैक्टर 2.5 से 2.8 के बीच रह सकता है. यानी कि कर्मचारियों की बेसिक सैलरी ढाई गुना तक बढ़ सकती है.
टाइम्स ऑफ़ इंडिया ने एसकेवी लॉ ऑफ़िस के सीनियर एसोसिएट निहाल भारद्वाज के हवाले से कहा है...हिस्टोरिकल डेटा बताता है कि आठवें पे कमीशन के तहत सरकारी कर्मचारियों के सैलरी औसतन 25 से 30 फ़ीसदी तक बढ़ सकती है, इसमें बेसिक सैलरी के साथ-साथ भत्तों में भी बढ़ोतरी शामिल है. हालाँकि कई कर्मचारी संगठन फिटमेंट फैक्टर 3 से साढ़े 3 रखने पर ज़ोर दे रहे हैं. (पेपर्स की क्लिपिंग)
और हाँ अगर कर्मचारियों की सैलरी बढ़ेगी तो इसका फ़ायदा उसे ग्रेच्युटी में भी मिलेगा यानी ग्रेच्युटी की रकम भी बढ़कर मिलेगी.
प्रेज़ेंटर: प्रेरणा
प्रोड्यूसर: दिनेश उप्रेती
वीडियो प्रोडक्शन: सुखमन दीप सिंह
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