अहिल्याबाई होल्कर: मालवा की वो 'दार्शनिक रानी', जो आला दर्जे की शासक भी थीं - विवेचना

इमेज स्रोत, PRABHAT PRAKASHAN
- Author, रेहान फ़ज़ल
- पदनाम, बीबीसी हिंदी
मालवा की रानी अहिल्याबाई को जन कल्याण के बहुत से कामों के लिए आज भी देश के अलग-अलग कोनों में बहुत सम्मान के साथ याद किया जाता है.
वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर और गुजरात के सोमनाथ मंदिर के जीर्णोद्धार से उनको बहुत प्रसिद्धि मिली लेकिन उनके योगदान की सूची में और भी बहुत कुछ है.
19वीं सदी के शुरू में भारत आए ब्रिटिश यात्री बिशप हेबर ने उनको 'भारत की सर्वश्रेष्ठ परोपकारी शासक' की संज्ञा दी थी.
भारत के स्वतंत्रता संघर्ष में शामिल रहीं एनी बेसेंट ने उनके बारे में कहा था, "अहिल्याबाई के शासनकाल को मालवा के स्वर्ण युग के रूप में याद किया जाएगा. सामाजिक न्याय के प्रति उनकी प्रतिबद्धता और सेवा भाव उन्हें दिव्यता की ओर ले गया."
ब्रिटिश इतिहासकार जॉन कीए ने उन्हें 'दार्शनिक रानी' की संज्ञा दी थी. वो न सिर्फ़ एक बेख़ौफ़ नेता थीं बल्कि एक चतुर शासक भी थीं.